कैथल के पूर्व डीसी प्रदीप दहिया पर तीन लाख रुपयों में शस्त्र लाइसेंस बनाने के आरोप,सरकार ने जांच के लिए आदेश..
कैथल। हरियाणा सरकार ने कैथल के पूर्व डीसी प्रदीप दहिया के कार्यकाल में बनाए गए 89 शस्त्र लाइसेंसों की जांच करवाने का निर्णय लिया है, इस मामले में कैथल के पूर्व डीसी पर आरोप है कि उन्होंने तीन लाख रुपए प्रति लायसेंस के लिए है जिनमें कुछ लाइसेंस ऐसे है इनकी पुलिस रिपोर्ट पर भी संस्य था ऐसे शस्त्र लाइसेंसों को भी जारी किया गया है !
सरकार ने कैथल के पूर्व डीसी प्रदीप दहिया के कार्यकाल जनवरी 2021 से लेकर मई 2022 तक जारी किए गए 89 शस्त्र लाइसेंसों की जांच करने के आदेश जारी किए हैं जिसमे डीजीपी और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हरियाणा से मंजूरी मिलने के बाद इस पूरे मामले की जांच करनाल मंडला आयुक्त संजीव वर्मा को सौंपी गई है जो इस मामले की जांच कर इसकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे !
मिली जानकारी मुताबिक कैथल निवासी गुरमीत सिंह ने शस्त्र लाइसेंसों में कथित अनियमितताओं के संबंध में दिनांक 26 मई, 2022 को इसकी शिकायत केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा राज्य सरकार को की थी जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को इस संबंध में पत्र जारी कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं !
वहीं जारी किए गए अभी शस्त्र लाइसेंसों में प्रयोग किए किए गए दस्तावेजों की DGP हरियाणा से द्वारा 25 अगस्त को जारी किए गए एक पत्र संख्या CFMS No. (1628/ACS (H)/AC-Misc को प्राप्त होने के बाद इस पूरे मामले की जांच करनाल मंडला आयुक्त संजीव वर्मा को सौंपी है जिन्होंने इस मामले के सन्दर्भ में कैथल की डीसी संगीता तेत्रवाल से इसकी रिपोर्ट तलब की है जिसके बाद यदि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो करनाल मंडल आयुक्त इस पूरे मामले की जांच कर आगामी कार्रवाई करने के लिए सरकार को लिखेंगे !
इस मामले को लेकर जब कैथल आए करनाल मंडल आयुक्त संजीव वर्मा से बात की गई तो उन्होंने पहले तो इस मामले पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया और बाद में कहा कि आप इस मामले के बारे में जानकारी लेने के लिए करनाल आए या फिर कैथल डीसी से भी इस बारे में जानकारी ले सकते हैं, इसके बाद वें बिना कुछ भी कहे अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए !
वही कैथल के पूर्व डीसी पर लगे इन आरोपों की पूरे शहर में जोरों शोरों से चर्चा चल रही है कि जिस डीसी ने खुद भ्रष्टाचार में संलिप्त जिले के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की हो तो क्या सच इतने उच्च स्तर पर बैठे हुए अधिकारी भी लाखों रुपए लेकर शस्त्र लाइसेंसों को जारी करते थे, वही चर्चा यह भी चल रही है कि यदि शिकायत गलत होती तो फिर सरकार गृह मंत्रालय से इसकी रिपोर्ट क्यों मांगती और जिले के सबसे उच्च पद पर आसीन रहे एक आईएएस पर लगे इस आरोपों की जांच कमिश्नर लेवल के अधिकारी से क्यों करवाती !
फिलहाल इस मामले में कितनी सच्चाई है यह तो जांच होने के बाद ही पता चल पाएगा परंतु शायद यह ऐसा पहला ही मामला होगा जिसमे एक कैथल निवासी द्वारा जिले के डीसी पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हो और जिन की सरकार ने जांच करवाने का भी निर्णय लिया हो !