डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने शुक्रवार को कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश के हर उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों की उचित संख्या होनी चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित, जो उनके साथ मंच साझा कर रहे थे, उन्होंने पलटवार किया कि, कॉलेजियम सिस्टम सबसे अच्छा है।
सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की विदाई में बोलते हुए कहा, इंदिरा बनर्जी की सेवानिवृत्ति से हमें एक बहुत ही अच्छी न्यायाधीश की कमी खलेगी। जब वह आई, तो हमें तीन महिला न्यायाधीश मिले। एक समय था जब हमारे पास चार महिला न्यायाधीश भी थीं और अब हम फिर से तीन महिला न्यायाधीश ही रह गए।
मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश से न केवल शीर्ष अदालत में कम से कम दो या तीन रिक्त पदों को भरने के लिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता हूं कि देश के प्रत्येक उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों की उचित संख्या हो। सिंह ने यह भी कहा कि, पटना उच्च न्यायालय में आज महिला न्यायाधीश की संख्या जीरो है और हमारी अदालत में अभ्यास करने वाले बहुत सारे अच्छे वकील हैं, जो वहां जाने के इच्छुक हैं और उनके पास कोई भी महिला वकील नहीं है कि उन्हें पदोन्नत किया जा सके। दुर्भाग्य से, कॉलेजियम प्रणाली के कारण हम आज अनुसरण कर रहे हैं। कॉलेजियम प्रणाली अच्छे लोगों को प्राप्त करने में रूचि नहीं रखती है, इसलिए तरक्की नहीं हो रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने एससीबीए द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए कॉलेजियम प्रणाली पर सिंह की टिप्पणियों का मुस्कुराते हुए जवाब देते हुए अपने भाषण की शुरूआत की। उन्होंने कहा, शुरूआत में मुझे कहना होगा कि, कॉलेजियम हमेशा सबसे अच्छे लोगों को चुनता है।
न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा, मैं सेवानिवृत्त होकर बहुत खुश हूं मैंने साढ़े 20 साल काम किया। आगे उन्होंने कहा, जब मेरे पास समय था तो मेरे पास पैसे नहीं थे और जब मैंने पैसे कमाए तो मेरे पास समय नहीं था। अब वह समय आ गया है जब मेरे पास समय और पैसा होगा क्योंकि मुझे मेरी पेंशन मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके पूर्ववर्तियों में से एक, न्यायमूर्ति एल.एन. राव ने कहा था कि यह बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल लंबा हो क्योंकि जब प्रदर्शन करना शुरू करते हैं, तो उन्हें अलविदा कहना पड़ता है।
आईएएनएस
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